Home Blog

B-Town के पावर कपल ने खरीदा भगोड़े Nirav Modi का रिदम हाउस,1940 के दशक के ऐतिहासिक म्यूजिक के लिए 47.84 करोड़ रुपये का सौदा

0

बॉलीवुड एक्ट्रेस Sonam Kapoor ने 2018 में बिजनेसमैन आनंद आहूजा से शादी की। शादी के बाद वह लंदन शिफ्ट हो गईं। एक्ट्रेस के बिजनेसमैन पति के पास काफी संपत्ति है। इसी बीच सोनम और उनके पति आनंद आहूजा ने एक और बड़ी डील की है। सोनम ने पति आनंद के साथ मिलकर एक रेट्रो म्यूजिक स्टोर खरीदा है। जो 1940 में बनकर तैयार हुआ है।

ऑफिशल लिक्विडेटर ने की पुष्टि

बताया जा रहा है कि Sonam Kapoor और Anand Ahuja ने मुंबई में एक स्टोर के लिए 47.8 करोड़ रुपये में डील की है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय Bankruptcy अदालत द्वारा नियुक्त ऑफिशल लिक्विडेटर शांतनु टी रे ने बिक्री की पुष्टि की। यह स्टोर कभी भगोड़े Nirav Modi का था, जो 2018 में मोदी की कंपनी, फायरस्टार डायमंड इंटरनेशनल के बैंक लोन पर चूक के बाद बंद हो गया।

सांस्कृतिक केंद्र था रिदम हाउस

Sonam Kapoor
Sonam Kapoor

1940 के दशक में बनाया गया था यह म्यूजिक स्टोर 1940 के दशक में बनाया गया था। इसने पंडित रविशंकर जैसे दिग्गज संगीतकारों और कई बॉलीवुड सितारों की होस्टिंग की। मुंबई के काला घोड़ा विस्तार में 3,600 वर्ग फुट में फैला रिदम हाउस एक सांस्कृतिक केंद्र था, जहां बंद होने से पहले दिग्गज संगीतकारों और बॉलीवुड सितारों का स्वागत किया जाता था।

Read this also: प्रभाकर राघवन बने New CTO Of Google, मिलेगा ₹300 करोड़ का सालाना पैकेज

Sonam Kapoor के ससुर ने भी की थी प्रॉपर्टी डील

कुछ समय पहले Sonam Kapoor के ससुर हरीश आहूजा ने भी लंदन में प्रॉपर्टी डील की थी। उन्होंने लंदन में भारी कीमत पर घर खरीदा था, जिसकी काफी चर्चा हुई थी। इसकी कीमत शाहरुख खान के घर से भी ज्यादा है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि इस प्रॉपर्टी की कीमत 200-240 करोड़ रुपये है।

रिदम हाउस में आनंद महिंद्रा को भी थी दिलचस्प

मोदी के वित्तीय घोटाले के बाद, फायरस्टार डायमंड की संपत्ति को प्रवर्तन निदेशालय ने जब्त कर लिया और उसे नीलामी के लिए रख दिया। रिदम हाउस में लोगों की दिलचस्पी बहुत अधिक थी, आनंद महिंद्रा जैसे सार्वजनिक हस्तियों ने क्राउड-सोर्स्ड फंडिंग के माध्यम से स्टोर को प्रदर्शन स्थल के रूप में बहाल करने में रुचि व्यक्त की थी।

Read this also: Shilpa Shetty और Raj Kundra को बॉम्बे हाई कोर्ट से मिली राहत, अब नहीं खाली करना होगा घर और फार्महाउस

नीरव मोदी के अंबानी परिवार से रिश्ते

13,000 करोड़ रुपये के पीएनबी घोटाले का मुख्य आरोपी नीरव मोदी भारत छोड़कर लंदन भाग गया है। विवादों में घिरे नीरव मोदी कभी अंबानी परिवार से जुड़े थे। मुकेश और अनिल अंबानी की भतीजी इशिता सालगांवकर की शादी नीरव मोदी के छोटे भाई निशाल मोदी से हुई थी। हालांकि, बाद में दोनों का तलाक हो गया।

नवरात्र में ही रिलायंस ने खेल दिया बड़ा दांव, अब हर तरह का लोन मिलेगा बेहद कम ब्याज दर पर

Jio Financial Services News: रिलायंस इंडस्ट्रीज की फाइनेंशियल कंपनी जियो फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड ने नया जियोफाइनेंस ऐप (JioFinance App) लॉन्च कर दिया है. यूजर्स गूगल प्लेस्टोर, एप्पल ऐप स्टोर और मायजियो से इस ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं. जियोफाइनेंस ऐप यूजर्स के लिए कई आकर्षक ऑफर लेकर आया है. कंपनी ने रेगुलेटरी फाइलिंग में ये जानकारी दी है.

शुक्रवार 11 अक्टूबर 2024 को बाजार के खुलने से पहले जियो फाइनेंशियल सर्विसेज ने स्टॉक एक्सचेंजों को रेगुलेटरी फाइलिंग में ये जानकारी दी है कि कंपनी ने नया और सुधार कर जियोफाइनेंस ऐप को लॉन्च कर दिया है जिसका बीटा वर्जन 30 मई 2024 को लॉन्च किया गया था. कंपनी ने बताया कि 6 मिलियन यूजर्स ने जियो फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के इस न्यू-एज डिजिटल प्लेटफॉर्म का अनुभव हासिल किया है और कस्टमर्स के फीडबैक के बाद कंपनी ने यूजर्स के कहने पर ऐप में सुधार किया है.

बीटा वर्जन के लॉन्च के बाद जियोफाइनेंस ऐप में कई तरह के फाइनेंशियल प्रोडेक्ट्स और सर्विसेज को जोड़ा गया है जिसमें म्यूचुअल फंड पर लोन, होम लोन जिसमें बैलेंस ट्रांसफर और प्रॉपर्टी के बदले में लोन शामिल है. कंपनी ने बताया कि ये लोन बेहद आकर्षक हैं और हमारे कस्टमर्स को बड़ी बचत होगी.

कंपनी ने बताया कि सेविंग फ्रंट पर जियो पेमेंट बैंक लिमिटेड पर केवल 5 मिनटों में डिजिटल सेविंग अकाउंट खोला जा सकता है. बायोमेट्रिक ऑथेंटिफिकेशन और फिजिकल डेबिट कार्ड के जरिए कंपनी सिक्योर बैंक अकाउंट ऑफर कर रही है. 1.5 मिलियन कस्टमर्स  जियो पेमेंट बैंक लिमिटेड पर अपनी रोजाना और रेकरिंग खर्च को मैनेज कर रही हैं. इसके अलावा यूपीआई पेमेंट, मोबाइल रीचार्ज, क्रेडिट कार्ड बिल का भी भुगतान किया जा सकता है.

जियोफाइनेंस ऐप पर यूजर्स अलग-अलग बैंकों में अपनी होल्डिंग्स के साथ सभी म्यूचुअल फंड्स होल्डिंग को देख सकेंगे जिससे वे अपने फाइनेंस को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकेंगे. इसके अलावा कंपनी लाइफ, हेल्थ, टू-व्हीलर, मोटर इंश्योरेंस डिजिटली ऑफर कर रही है. कंपनी ने बताया कि ब्लैकरॉक के साथ मिलकर जियो फाइनेंशियल वर्ल्ड क्लास इंनोवेटिव इंवेस्टमेंट सोल्युशन पर काम कर रही है.

इस खबर के सामने आने के बाद जियो फाइनेंशियल सर्विसेज का शेयर 0.07 फीसदी के उछाल के साथ 344 रुपये पर ट्रेड कर रहा है.

महंगी ईएमआई से नहीं मिली राहत, आरबीआई ने रेपो रेट में नहीं किया कोई बदलाव

0

RBI Repo Rate: अगर आप भी लंबे समय से होम लोन की ईएमआई (EMI) कम होने का इंतजार कर रहे हैं तो आरबीआई (RBI) ने आपको फ‍िर से न‍िराश कर द‍िया है. 7 अक्‍टूबर को शुरू हुई तीन द‍िवसीय द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा (MPC) का आज आख‍िरी द‍िन है. आरबीआई ने लगातार दसवीं बार रेपो रेट में क‍िसी तरह का बदलाव नहीं क‍िया. केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट को 6.5 प्रत‍िशत पर ही बरकरार रखा है. आरबीआई (RBI) चीफ शक्‍त‍िकांत दास ने एमपीसी में ल‍िये गए फैसले के बारे में जानकारी दी. उन्‍होंने बताया क‍ि एमपीसी में रेपो रेट में क‍िसी तरह का बदलाव नहीं करने का फैसला क‍िया गया. र‍िजर्व बैंक की तरफ से आख‍िरी बार फरवरी, 2023 में रेपो रेट बढ़ाकर 6.5 प्रत‍िशत क‍िया था.

फेड र‍िजर्व ने की थी 50 बेस‍िस प्‍वाइंट की कटौती

आरबीआई की तरफ से रेपो रेट नहीं बदलने का फैसला ल‍िये जाने के बाद सस्‍ते होम लोन, पर्सनल लोन या कार लोन का इंतजार करने वालों को फ‍िर से झटका लगा है. इससे पहले स‍ितंबर के महीने में फेड र‍िजर्व की तरफ से ब्‍याज दर में 50 बेस‍िस प्‍वाइंट की कटौती क‍िये जाने के बाद आरबीआई के ऊपर भी ब्‍याज दर नीचे लाने का दवाब बढ़ गया था. हालांक‍ि कुछ जानकार द‍िसंबर में होने वाली एमपीसी में ब्‍याज दर में कटौती की उम्‍मीद कर रहे हैं.

साल में 6 बार होती है मीटिंग

केंद्रीय बैंक की तरफ से हर साल 6 बार मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग होती है. वित्त वर्ष 2024-25 की यह तीसरी एमपीसी मीटिंग हुई है. इस मीटिंग में रिजर्व बैंक की तरफ से महंगाई दर को ध्‍यान में रखकर रेपो रेट की समीक्षा की जाती है. इस पर क‍िसी भी प्रकार का फैसला लेने से पहले आरबीआई डिमांड, सप्लाई, इंफ्लेशन और क्रेडिट जैसी कई फैक्टर्स को ध्यान में रखता है.

आप पर क्‍या होता है असर?

आरबीआई की तरफ से रेपो रेट घटाने या बढ़ने का असर बैंकों की तरफ से द‍िये जाने वाले लोन की ब्याज दर पर पड़ता है. रेपो रेट बढ़ने के बाद बैंकों की तरफ से होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन समेत सभी प्रकार के लोन को महंगा कर द‍िया जाता है. आसान शब्‍दों में कहें तो बैंक ब्‍याज दर बढ़ा देते हैं. लेक‍िन यद‍ि आरबीआई रेपो रेट में कटौती करता है तो इससे लोन की ब्‍याज दर कम होती है.

क्‍या होता है रेपो रेट?

जिस रेट पर आरबीआई की तरफ से बैंकों को लोन द‍िया जाता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट बढ़ने का मतलब है क‍ि बैंकों को आरबीआई से महंगे रेट पर लोन मिलेगा. इससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन आद‍ि की ब्‍याज दर बढ़ जाएगी, ज‍िसका आपकी ईएमआई पर सीधा असर पड़ेगा.

EPS Pensioners के लिए खुशखबरी, अब देश के किसी भी बैंक से मिलेगी पेंशन

2

EPS Pensioners: कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) के तहत पेंशनर्स के लिए महत्वपूर्ण खबर है। 1 जनवरी 2025 से ईपीएस पेंशनर्स देश के किसी भी कोने से किसी भी बैंक, किसी भी शाखा से पेंशन प्राप्त कर सकेंगे, जो निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।। यह जानकारी श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मंडाविया ने दी है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन या ईपीएफओ की कर्मचारी पेंशन योजना यानी ईपीएस 1995 पेंशनभोगियों को दिया जाने वाला एक बड़ा लाभ है।

78 लाख ईपीएस पेंशनर्स को फायदा

श्रम और रोजगार मंत्री और ईपीएफ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड के अध्यक्ष मनसुख मंडाविया ने कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के लिए एक केंद्रीकृत पेंशन प्रणाली के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सेंट्रल पेंशन पेमेंट सिस्टम से राष्ट्रीय स्तर पर एक सेंट्रलाइज्ड सिस्टम से भारत के किसी भी कोने से, किसी भी बैंक से, किसी भी शाखा से पेंशनर्स (EPS Pensioners) को पेंशन दी जा सकती है। सेंट्रलाइज्ड पेमेंट सिस्टम (CPPS) से ईपीएफओ के 78 लाख ईपीएस पेंशनभोगियों को फायदा होगा।

सीपीपीएस क्या है?

CPPS एक नई सिस्टम है जिसे राष्ट्रीय स्तर पर पेंशन भुगतान को सुव्यवस्थित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। वर्तमान Decentralized System के हटकर, जहाँ पेंशन भुगतान क्षेत्रीय EPFO कार्यालयों से जुड़े विशिष्ट बैंकों के माध्यम से किया जाता है, CPPS पेंशनर्स को देश के किसी भी बैंक या शाखा से अपनी पेंशन प्राप्त करने की अनुमति देगा।

Read this also: iPhone Demand: लॉन्च से पहले ही iPhone 16 की डिमांड, कंपनी ने नए मॉडल को असेंबल करने के लिए हायर किए 50,000 नए कर्मचारी

पेंशनर्स की कठिनाई होगी कम

ईपीएस के इस फैसले पर श्रम एवं रोजगार मंत्री (Labour Minister Mansukh Mandaviya) ने कहा, सेंट्रलाइज्ड पेंशन पेमेंट सिस्टम का निर्णय ईपीएफओ के आधुनिकीकरण में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होने वाला है। देश में कहीं भी, किसी भी बैंक, किसी भी शाखा से पेंशन पाने वाले पेंशनर्स को लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को दूर करने में मदद मिलेगी।

पेमेंट ऑर्डर की कोई आवश्यकता नहीं

EPS Pensioners
EPS Pensioners

सेंट्रलाइज्ड पेमेंट सिस्टम से देश में पेंशन देने में मदद मिलेगी और इसके लिए पेंशन पेमेंट आदेश के ट्रांसफर की आवश्यकता नहीं होगी। पहले पेंशनर्स को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने, बैंक या शाखा बदलने के लिए पेंशन पेमेंट आदेश प्रस्तुत करना पड़ता था। इस फैसले से रिटायरमेंट के बाद अपने होमटाउन जाने वाले पेंशनर्स को बड़ी राहत मिलेगी। पेंशनर्स को वैरिफिकेशन के लिए बैंक ब्रांच में जाने की आवश्यकता नहीं होगी, और पेंशन बिना किसी देरी के सीधे उनके खातों में जमा हो जाएगी। अगले चरण में सेंट्रलाइज्ड पेमेंट सिस्टम को आधार बेज्ड पेमेंट सिस्टम के साथ एकीकृत किया जाएगा।

Read this also: ‘अगर भारत पसंद नहीं है तो यहां काम करने की जरूरत नहीं’, दिल्ली हाई कोर्ट ने Wikipedia पर लगाई लताड़

पेंशन के लिए कौन पात्र है?

कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए व्यक्तियों को निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करना होगा।

ईपीएफओ का सदस्य होना चाहिए।
10 वर्ष की सेवा पूरी कर ली हो।
58 वर्ष की आयु तक पहुँच गया है।
वे 50 वर्ष की उम्र से कम दर पर ईपीएस निकाल सकते हैं, तथा पेंशन को दो वर्षों के लिए स्थगित भी कर सकते हैं (60 वर्ष की उम्र तक) जिसके बाद उन्हें हथ वर्ष 4% की ज्यादा रेट पर पेंशन मिलेगी।

RBI का बड़ा एक्शन, इन 5 बैंकों पर लगाया भारी जुर्माना, ग्राहकों पर क्या होगा असर?

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को विभिन्न नियामक मानदंडों के उल्लंघन के लिए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, मुथूट हाउसिंग फाइनेंस और सीएसबी बैंक सहित पांच संस्थाओं पर जुर्माना लगाया।

आरबीआई ने सीएसबी बैंक पर ‘रिस्क मैनेजिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज की आउटसोर्सिंग’ में गाइडलाइंस का उल्लंघन किया। साथ ही बैंक, ‘शाखा प्राधिकरण पर मास्टर सर्कुलर’ पर जारी कुछ निर्देशों का भी पालन नहीं किया। इसके लिए बैंक पर 1.86 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया पर क्यों लगा जुर्माना

एक अन्य बयान में आरबीआई ने कहा कि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने भी ‘अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी)’ पर कुछ मानदंडों का पालन नहीं किया। साथ ही, जोखिमों के लिए आवश्यक सेंट्रल रिपॉजिटरी बनाने के नियमों की अनदेखी की। इसके लिए बैंक पर 1.06 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की एक इकाई है, जिसकी 60 फीसदी हिस्सेदारी सरकार के पास है।

मुथूट हाउसिंग फाइनेंस पर जुर्माने की वजह क्या है

केंद्रीय बैंक ने एक अन्य विज्ञप्ति में कहा कि ‘नॉन-बैंकिंग फाइनेंसिंग कंपनी – हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (रिजर्व बैंक) डायरेक्शंस, 2021’ के कुछ प्रावधानों का पालन न करने पर मुथूट हाउसिंग फाइनेंस कंपनी पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। आरबीआई ने मानदंडों का पालन न करने पर निडो होम फाइनेंस लिमिटेड पर 5 लाख रुपये और अशोका विनियोग लिमिटेड पर 3.1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

क्या जुर्माने का ग्राहकों पर कोई असर होगा? 

आरबीआई ने कहा कि प्रत्येक मामले में जुर्माना नियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है। इसका उद्देश्य संस्थाओं में किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर फैसला सुनाना नहीं है। इसका मतलब कि ग्राहकों के किसी भी लेनदेन पर आरबीआई के जुर्माने का असर नहीं होगा।

अडानी समूह के शेयरों में आया भूचाल, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद 17% तक गिरे शेयर, निवेशकों को अरबों रुपये डूबे

अडानी समूह के लिए सोमवार का दिन एक बार फिर से काला साबित हो सकता है. हिंडनबर्ग रिसर्च की वीकेंड पर आई नई रिपोर्ट के बाद आज सोमवार को बाजार खुलते ही अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई. शुरुआती सेशन में अडानी समूह के शेयर 17 फीसदी तक के नुकसान में कारोबार कर रहे हैं.

सबसे ज्यादा लुढ़का अडानी का ये शेयर

सुबह 9:15 बजे बाजार खुलते ही अडानी समूह के सारे शेयर लुढ़क गए. अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस ने तो बीएसई पर करीब 17 फीसदी के नुकसान के साथ शुरुआत की. हालांकि कारोबार बढ़ते ही उसने शानदार रिकवरी दिखाई, लेकिन उसके बाद भी शेयर लाल निशान में ही है. 9 बजकर 30 मिनट पर यह शेयर बीएसई पर 2.59 फीसदी के नुकसान के साथ 1,075.45 रुपये पर कारोबार कर रहा था.

अडानी के सारे शेयर हुए लाल

सुबह 9:30 पर अडानी टोटल गैस सबसे ज्यादा साढ़े फीसदी के नुकसान में था. अडानी पावर और अडानी विल्मर के शेयर 3-3 फीसदी से ज्यादा लुढ़के हुए थ. फ्लैगशिप शेयर अडानी एंटरप्राइजेज 2 फीसदी से ज्यादा के नुकसान में था. इसी तरह अडानी ग्रीन एनर्जी लगभग ढाई फीसदी गिरा हुआ था.

अडानी समूह के शेयरों का शुरुआती हाल

शेयर भाव (रुपये में) नुकसान (फीसदी में)
एसीसी 2319.05 1.35
अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस 1075.45 2.59
अडानी एंटरप्राइजेज 3115.50 2.24
अडानी ग्रीन एनर्जी 1736.85 2.43
अडानी पोर्ट्स एंड सेज 1509.50 1.55
अडानी पावर 673.20 3.15
अडानी टोटल गैस 830.30 4.50
अडानी विल्मर 373.05 3.10
अंबुजा सीमेंट 629.85 0.37
एनडीटीवी 202.01 3.03

(बीएसई पर 9:30 बजे)

शेयर बाजार को भी नुकसान

भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत भी आज गिरावट के साथ हुई है. बीएसई का सेंसेक्स 375.79 अंक या 0.47 फीसदी की गिरावट के साथ 79,330.12 अंक पर खुला है, जबकि एनएसई का निफ्टी 47.45 अंक या 0.19 फीसदी की गिरावट के साथ 24,320 अंक पर खुला है.

अनुमानों के हिसाब से है बाजार का रिएक्शन

बाजार और अडानी समूह के शेयरों का रिएक्शन कमोबेश एनालिस्ट के अनुमानों के हिसाब से ही है. एनालिस्ट कह रहे थे कि सोमवार को बाजार हिंडनबर्ग की ताजी रिपोर्ट पर पिछली बार की तरह रिएक्ट नहीं करेगा, जब रिपोर्ट सामने आने के बाद बाजार बिखर गया था और अडानी के लगभग सभी शेयरों पर लोअर सर्किट लग गया था. आज के कारोबार में अडानी के शेयर शुरुआती झटके के बाद लगातार मजबती दिखा रहे हैं और रिकवरी के संकेत दे रहे हैं.

डेढ़ साल पहले हुए था तगड़ा नुकसान

इससे पहले हिंडनबर्ग ने जब जनवरी 2023 में जब अडानी समूह को पहली बार अपना निशाना बनाया था, तब अडानी के शेयरों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था. रिपोर्ट आने के लगभग एक महीने बाद तक अडानी समूह के शेयर लुढ़कते रहे थे और लगातार लोअर सर्किट का शिकार होते रहे थे. उस समय अडानी समूह के शेयरों में 80 फीसदी से ज्यादा तक की गिरावट आई थी और मार्केट कैप में 150 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ गया था.

‘भारत में कुछ बड़ा होने वाला है!’ हिंडनबर्ग की चेतावनी, अब किसकी बारी?

करीब डेढ़ साल पहले भारत के अग्रणी कारोबारी समूहों में एक अडानी समूह के खिलाफ सनसनीखेज रिपोर्ट लाकर सुर्खियां बटोरने वाली फर्म हिंडनबर्ग फिर से चर्चा में है. अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने भारत में नया खुलासा करने का ऐलान किया है. उसके बाद से कयासों का बाजार गर्म है.

हिंडनबर्ग के अपडेट के बाद तेज हुए कयास

हिंडनबर्ग रिसर्च ने भारतीय समय के अनुसार आज शनिवार की सुबह के करीब साढ़े पांच बजे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक छोटा अपडेट शेयर किया. अमेरिकी फर्म ने बस इतना ही लिखा- भारत, जल्दी ही कुछ बड़ा आने वाला है. यह अपडेट शेयर होते ही चर्चा के केंद्र में आ गया. सुबह के साढ़े नौ बजे तक एक्स पर हिंडनबर्ग के इस अपडेट को डेढ़ मिलियन से ज्यादा व्यूज मिल चुके थे और करीब साढ़े चार हजार बार रिपोस्ट किया जा चुका था.

पिछले साल आई थी अडानी पर रिपोर्ट

हिंडनबर्ग के इस अपडेट के बाद लोग कयास लगा रहे हैं कि अब उसका नया शिकार कौन होने वाला है. भारत में हिंडनबर्ग रिसर्च का नाम पिछले साल की शुरुआत में उस समय चर्चा में आया था, जब उसने उस समय भारत व एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी के कारोबारी समूह के खिलाफ विवादास्पद रिपोर्ट जारी की थी. हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी उस रिपोर्ट में अडानी समूह के ऊपर कई सनसनीखेज आरोप लगाए थे, जिनमें शेयरों के भाव में हेर-फेर करने से लेकर कारोबार में गलत तरीके अपनाने जैसे आरोप शामिल थे.

अडानी का कर दिया 86 बिलियन डॉलर का नुकसान

अडानी समूह पिछले साल जनवरी में आई उस रिपोर्ट के बाद परेशानियों में घिर गया था. डेढ़ साल गुजर जाने के बाद भी अडानी समूह अभी तक हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों से हुए नुकसान की पूरी तरह भरपाई नहीं कर पाया है. रिपोर्ट के चलते अडानी समूह के सभी शेयरों के भाव धराशाई हो गए थे. कई शेयरों पर तो एक महीने से ज्यादा समय तक लगभग हर रोज लोअर सर्किट लगता रहा था. समूह को बाजार पूंजीकरण में उस समय 86 बिलियन डॉलर का भारी-भरकम नुकसान उठाना पड़ गया था.

अब तक नहीं साबित हुए एक भी आरोप

हालांकि हिंडनबर्ग रिसर्च के तमाम आरोपों को अडानी समूह ने सिरे से खारिज किया था और उसे भारत के ऊपर हमला बताया था. बाद में बाजार नियामक सेबी ने हिंडनबर्ग के आरोपों की जांच शुरू की, जिसकी निगरानी सुप्रीम कोर्ट ने की. अब तक हिंडनबर्ग के द्वारा अडानी पर लगाए गए एक भी आरोप साबित नहीं किए जा सके हैं. इस कारण कई लोग ऐसा मानने लगे हैं कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने जानबूझकर अडानी समूह को निशाना बनाया था और उसमें उसके निहित स्वार्थ थे.

यूजर करने लगे हिंडनबर्ग पर बैन की मांग

शॉर्ट सेलर फर्म के नए अपडेट पर खास तौर पर भारतीय यूजर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. कुछ यूजर तो यहां तक मांग कर रहे हैं कि भारत सरकार को हिंडनबर्ग रिसर्च का एक्स हैंडल भारत में बैन कर देना चाहिए, क्योंकि अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म सिर्फ सनसनी बनाकर लोगों को नुकसान पहुंचाती है.

बहरहाल अब देखना यह है कि हिंडनबर्ग रिसर्च के पिटारे से अब क्या निकलने वाला है और अडानी के बाद किसका नंबर लगने वाला है.

नहीं कम होगी आपकी ईएमआई, रिजर्व बैंक ने 9वीं बार स्थिर रखा रेपो रेट, सस्ते कर्ज का इंतजार जारी

0

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास आज (8 अगस्त) मौद्रिक नीति की घोषणा की. मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने 6 अगस्त से 8 अगस्त तक वित्त वर्ष 25 के लिए अपनी थर्ड-बाय मंथली पॉलिसी बैठक आयोजित की और उसी के परिणाम आज RBI गवर्नर घोषित की.

आरबीआई एमपीसी नौवीं बार रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर स्थिर बनाए रखा है, जो फरवरी 2023 से लगातार आठ नीति समीक्षाओं के लिए अपरिवर्तित रही.

वित्त वर्ष 2025 के लिए वास्तविक जीडीपी 7.2 फीसदी रहने का अनुमान है, जिसमें ‘जोखिम समान रूप से संतुलित’ हैं.

  • Q1-7.2
  • Q2 – 7.2
  • Q3- 7.3
  • Q4 – 7.2

वित्त वर्ष 2025 के लिए मुद्रास्फीति पूर्वानुमान- 4.5 फीसदी

  • Q2 के लिए मुद्रास्फीति- 4.4 फीसदी (3.8 फीसदी से संशोधित)
  • Q3- 4.7 फीसदी (4.6 फीसदी से संशोधित)
  • Q4- 4.3 फीसदी (4.5 फीसदी से संशोधित)
  1. RBI गवर्नर ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति का भार मुख्य मुद्रास्फीति पर 46 फीसदी है. इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
  2. बैंकों और निगमों का हेल्थी बैलेंस शीट, सरकार के पूंजीगत खर्च पर जोर और निजी निवेश में तेजी से निवेश संभावनाओं को बढ़ावा देंगे.
  3. गवर्नर दास ने कहा कि पीएमआई सेवाएं मजबूत रहीं और लगातार 7 महीनों से 60 से ऊपर रहीं.
  4. RBI गवर्नर ने कहा कि हमने विकास सुनिश्चित करने के लिए मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित करने और मूल्य स्थिरता का समर्थन करने का निर्णय लिया है.
  5. अप्रैल-मई में स्थिर रहने के बाद जून में फूड के कारण हेडलाइन महंगाई में बढ़ोतरी हुई, जो कि अभी भी स्थिर बनी हुई है. तीसरी तिमाही में, हमें बेस इफेक्ट का फायदा मिलेगा, जो हेडलाइन महंगाई के आंकड़ों को नीचे खींचेगा.
  6. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने 4:2 बहुमत से नीतिगत रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखने का फैसला किया.

जून में RBI MPC में क्या निर्णय लिया गया?

जून में, RBI MPC ने लगातार आठवीं बार रेपो दर को 6.5 फीसदी पर बनाए रखने और सहूलियत वापस लेने के अपने रुख पर कायम रहने के लिए 4-2 से मतदान किया. RBI ने इसके बाद FY25 के लिए अपने GDP विकास पूर्वानुमान को संशोधित कर 7.2 फीसदी कर दिया, जो पिछले अनुमान 7 फीसदी से अधिक था और FY25 के लिए मुद्रास्फीति पूर्वानुमान 4.5 फीसदी पर स्थिर रहा.

अगली RBI MPC बैठक कब होगी?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इन डेट पर MPC बैठकें आयोजित करने वाला है- 7 से 9 अक्टूबर, 4 से 6 दिसंबर और 5 से 7 फरवरी, 2025.

आय नहीं, निवेश पर लगता था Angel Tax; क्या इसे हटाने से विदेशी निवेश लाने में मिलेगी मदद?

1

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते मंगलवार को बजट भाषण 2024 में स्टार्टअप के लिए Angel Tax को खत्म करने का ऐलान किया। उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के एक बड़े अधिकारी ने इस फैसले को सही ठहराते हुए बुधवार को कहा कि एंजल टैक्स को हटाना एक लंबित मुद्दा था, क्योंकि यह टैक्स देश में आने वाले निवेश पर लगाया जाता था और इस तरह के विदेशी निवेश पर कर नहीं लगाया जाना चाहिए। भाषा की खबर के मुताबिक, डीपीआईआईटी के सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा कि इस फैसले से विदेशी निवेश आकर्षित करने, इनोवेशन को बढ़ावा देने और देश के स्टार्टअप परिवेश को और मजबूत करने में मदद मिलेगी।

Angel Tax आय पर नहीं बल्कि निवेश पर था

खबर के मुताबिक, सिंह ने कहा कि यह कारोबार सुगमता का मुद्दा होने के साथ-साथ टैक्स का मुद्दा भी था। आखिरकार यह आय पर नहीं बल्कि निवेश पर कर था और निवेश पर कर नहीं लगना चाहिए, यही मूल विचार है। एंजल कर (30 प्रतिशत से अधिक की दर से आयकर) का मतलब वह आयकर है जो सरकार गैर-सूचीबद्ध कंपनियों या स्टार्टअप द्वारा जुटाई गई धनराशि पर लगाती है, अगर उनका मूल्यांकन कंपनी के उचित बाजार मूल्य से अधिक है। इस फैसले से विवाद तथा मुकदमेबाजी में भी कमी आएगी। टैक्स निश्चितता और नीतिगत स्थिरता आएगी। इसके अलावा, टैक्स निर्धारण और मुकदमेबाजी में उलझी मांग में भी कमी आएगी।

भारतीय स्टार्टअप में निवेश आकर्षित होगा

सचिव ने कहा कि निवेशक संभावित नए इनोवेशन पर निवेश करता है और यह कर उन्हें नुकसान पहुंचा रहा है। टैक्स के चलते भारत में एक वास्तविक रूप से अच्छे विचार को समर्थन नहीं मिल रहा था और यह लोगों को विदेश से पैसा लाने के लिए मजबूर कर रहा था। उन्होंने कहा कि वास्तव में इससे भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) कम हो जाता है और इससे एक ऐसी व्यवस्था बनती है, जहां लोग देश के बाहर रहते हैं और फिर लंबे समय के बाद वापस आ जाते हैं, क्योंकि आखिरकार बाजार यहीं है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने यह भी कहा कि इस निर्णय से भारतीय स्टार्टअप में निवेश आकर्षित करने तथा उभरते उद्यमियों की वृद्धि को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

डीपीआईआईटी में संयुक्त सचिव संजीव ने कहा कि विभाग को संबंधित हितधारकों से कई ज्ञापन प्राप्त हुए जिनमें एंजल कर के संभावित प्रतिकूल प्रभाव पर प्रकाश डाला गया। आज की तारीख तक करीब 1.44 लाख स्टार्टअप को डीपीआईआईटी द्वारा मान्यता दी गई है।